नंदनवन गौरक्षा अभियान
श्रीराम सुखदास जी महाराज का कहना है- ''गोवंश की हत्या करके यह देश कभी सुखी नही रह सकता है। देश की भाषा तथा वेशभूषा का भिन्न-भिन्न होने पर भी आज सारा देश गोवध बंदी चाहता है। गोरक्षा केवल भारत का ही धर्म नही है, अखिल विश्व का धर्म है। गाय घास खाकर अमृत तुल्य दूध देती है। बैल खेती का आधार है, हमारा देश बिना बैल के जी नही सकता। गोवंश के गोबर से कीमती खाद प्राप्त होती है। गोमूत्र से अनेक दवायें बनकर रोग मिटते हैं। अत: भारत सरकार से हम अनुरोध करते हैं, कि गोवंश की हत्या तुरंत बंद करके देश को गोहत्या के पाप से बचाया जाए। गायों की हत्या रूकनी चाहिए और उनको पूर्ण संरक्षण मिलना चाहिए। देश में गोपालन गोसंवद्र्घन जोरों से हो, इसप्रकार का कार्यक्रम बनाया जाए।''
गौ की महिमा को समझकर ही अब्दुल गफ्फार ने एक कविता लिखी जिसकी कुछ पंक्तियां यहां प्रस्तुत हैं:-
गाय ने मानव जीवन को नवरूप प्रदान किया है,
इसीलिए ऋषियों ने इसको मां का नाम दिया है।
आर्य संस्कृति का गौरव हम नही सिमटने देंगे,
शीश भले कट जाय लेकिन गाय नही कटने देंगे।
किसी जाति का नही धर्म का नही यह हर घर का है
गौहत्या का प्रश्न समूची मानवता भर का है।
गौहत्या करने वाला सभ्यता उचाट रहा है।
गाय काटने वाला अपनी मां को काट रहा है।।
मां के हत्यारों को खुलकर दण्ड दिलाना होगा,
इसकी रक्षा का हर घर में अलख जगाना होगा।।
वसुधा के वैभव का दर्शन नही चटकने देंगे,
शीश भले कट जाये लेकिन गाय नही कटने देंगे।।
एक सच्चे गौभक्त होने के नाते गौ माता की रक्षा हेतु कम से कम इतना संकल्प तो ले ही सकते हैं :- |
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01 |
किसी भी प्रकार के चमड़े की वस्तु प्रयोग में नहीं लाएँगे । |
02 |
प्रतिदिन भोजन ग्रहण करने से पूर्व गौ माता के लिए कम से कम 1 रोटी निकलेंगे । |
03 |
केवल गौ माता का दूध और गौ माता के दूध से निर्मित उत्पाद ही प्रयोग में लाएँगे । |
04 |
प्लास्टिक की थैलियों को कभी भी कूड़ेदान में नहीं डालेंगे क्योंकि पर्याप्त भोजन के अभाव में कुछ गौ माता भोजन की तलाश में कूड़ेदान की ओर चली जाती हैं और वहाँ खाद्य-वस्तुओं के साथ-साथ उनके पेट में प्लास्टिक चला जाता है जिससे कि उनको अत्यधिक पीड़ा सहन करनी पड़ती है । |
05 |
अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएंगे ताकि वातावरण भी शुद्ध हो और साथ ही साथ गौ माता के लिए पर्याप्त चारा सुगमता से उपलब्ध हो सके । आप सबके सहयोग से ही गौरक्षा का दैवी कार्य संभव है । अतः आप स्वयं भी इस कार्य में तन-मन-धन से लगें तथा अपने सभी मित्र-संबंधियों को भी प्रेरित करें । |